
लखीमपुर खीरी में एक गरीब परिवार के ऊपर तेंदुए ने हमला कर दिया और उत्तर प्रदेश सरकार ने… चुप्पी साध ली। लेकिन समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव वहां पहुंच गए, पीड़ित मेही लाल गौतम से मिले और खुद 2 लाख रुपये की मदद दी। साथ ही तंज कसते हुए कहा, “सरकार जंगल नहीं बचा रही, जंगल अब शहर में घुस रहा है।”
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“जंगल कटेंगे तो तेंदुए लखनऊ मेट्रो में दिखेंगे” – अखिलेश की पर्यावरण चेतावनी
अखिलेश यादव ने साफ शब्दों में कहा –
“अगर जंगल नहीं बचाओगे, तो जानवर कहां जाएंगे? ज़ाहिर है, रिहायशी इलाकों में ही आएंगे।”
उन्होंने वन विभाग के बढ़ते बजट पर सवाल उठाया और कहा कि
“पर्यावरण बचाने के नाम पर सरकार बजट तो खा रही है, लेकिन पेड़ नहीं उगा रही।”
2025-26 में वन और पर्यावरण मंत्रालय को ₹3,413 करोड़ मिले हैं, लेकिन वृक्षारोपण अब भी PowerPoint में ही फल-फूल रहा है।
“बजट खाओ, जंगल काटो – यही है सरकार का ग्रीन मिशन?”
अखिलेश ने तंज कसते हुए कहा,
“संरक्षण के नाम पर सिर्फ फंड दिए जाते हैं, और फिर वही लोग उन्हें घोट कर गटक जाते हैं।”
यानि कि वन रक्षक बन गए ‘बजट भक्षक’!
सरकार से पहले पहुंची समाजवादी मदद – शर्मनाक है ये चुप्पी!
उन्होंने कहा कि जब सरकार पीड़ित परिवार की मदद को आगे नहीं आई, तब पार्टी कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे।
“तेंदुए ने हमला किया और सरकार को सांप सूंघ गया?”
पीड़ित के इलाज में सहयोग के लिए अखिलेश ने लखीमपुर डीएम और डॉक्टरों की सराहना भी की।
“नेचर साइकिल बिगड़ेगी तो आप ही चपेट में आएंगे” – चेतावनी या भविष्यवाणी?
अखिलेश बोले,
“हम भी जंगल से निकले हैं। अगर नेचर के चक्र को छेड़ा गया, तो उसका दुष्परिणाम भुगतना ही पड़ेगा।”
यह सिर्फ यूपी नहीं, पहाड़ी राज्यों में भी हो रहा है – जहां जानवरों के पास घर नहीं, और इंसानों के पास समझ नहीं।
विकास चाहिए, लेकिन जंगल काटकर नहीं – वरना अगला ‘गेस्ट’ तेंदुआ हो सकता है
अखिलेश यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में न सिर्फ सरकार की लापरवाही को उजागर किया, बल्कि ये भी जताया कि पर्यावरण मुद्दा सिर्फ भाषण का नहीं, कार्रवाई का है।
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